धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद विश्व ब्राह्मण संघ के तत्वाधान में मंगलवार को विश्व ब्राह्मण दिवस ब्राह्मण गौरव दिवस के रूप में मनाया गया विश्व ब्राह्मण संघ के प्रवक्ता बीके शर्मा हनुमान ने संपूर्ण सर्व ब्राह्मण समाज से अपील करते हुए कहा कि अपने पूर्वजों को स्वयं एवं उनके गौरव को याद करते हुए विश्व ब्राह्मण दिवस ब्राह्मण गौरव दिवस के रूप में मनाया गया लॉकडाउन को लेकर किसी बड़े कार्यक्रम आयोजन नहीं किया जा सका इस कारण मंगलवार की दोपहर को भगवान परशुराम के चरणों में पुष्प अर्पित किए गए बी के शर्मा हनुमान ने बताया कि पुराने वेदों एवं उपनिषदों के अनुसार ब्राह्मण समाज का इतिहास सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा से जुड़ा हुआ है वेदों के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि ब्राह्मणों की उत्पत्ति हिंदू धर्म के देवता ब्रह्मा से हुई थी ऐसा माना जाता है कि वर्तमान समय में जितने भी ब्राह्मण समाज के लोग हैं वह सब भगवान ब्रह्मा के वंशज हैं कोई भी बन सकता है ब्राह्मण ब्राह्मण होने का अधिकार सभी को है चाहे वह किसी भी जाति प्रांत या संप्रदाय के हो हम ऐसे हजारों उदाहरण बता सकते हैं जबकि क्षत्रिय समाज से कई लोग ब्राह्मण बने और ब्राह्मण समाज से कई लोग क्षत्रिय ऐसे कई वैश्य हैं जिन्होंने पूर्व काल में क्षत्रिय तो धारण किया और ऐसे भी कई दलित हैं जिन्होंने ब्राह्मण धारण कर समाज को दिशा दी यह बात सही है कि ब्राह्मण होने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है ज्ञान साहस संयम विनम्रता और संस्कार को महत्व देना होता है स्मृति पुराणों में ब्राह्मण के 8 भेदों का वर्णन मिलता है मात्र ब्राह्मण छत्रिय अनुसार ब्रह्म ऋषि कल्प ऋषि और मुनि आठ प्रकार के ब्राह्मण श्रुति में पहले बताए गए हैं इनके अलावा वंश विद्या और सच सदाचार से उठे हुए ब्राह्मण श्री शुक्ल कहलाते हैं ब्राह्मण को धर्मज्ञ विप्र और दिवज भी कहा जाता है ब्राह्मण की 6 परिभाषा यज्ञ करना कराना शिक्षा लेना वह देना भिक्षा लेना व देना भी ब्रह्म तत्व से जुड़ा हुआ है
1. मात्र : ऐसे ब्राह्मण जो जाति से ब्राह्मण हैं लेकिन वे कर्म से ब्राह्मण नहीं हैं उन्हें मात्र कहा गया है। ब्राह्मण कुल में जन्म लेने से कोई ब्राह्मण नहीं कहलाता। बहुत से ब्राह्मण ब्राह्मणोचित उपनयन संस्कार और वैदिक कर्मों से दूर हैं, तो वैसे मात्र हैं। उनमें से कुछ तो यह भी नहीं हैं।
2. ब्राह्मण : ईश्वरवादी, वेदपाठी, ब्रह्मगामी, सरल, एकांतप्रिय, सत्यवादी और बुद्धि से जो दृढ़ हैं, वे ब्राह्मण कहे गए हैं। तरह-तरह की पूजा-पाठ आदि पुराणिकों के कर्म को छोड़कर जो वेदसम्मत आचरण करता है वह ब्राह्मण कहा गया है।
3. श्रोत्रिय : स्मृति अनुसार जो कोई भी मनुष्य वेद की किसी एक शाखा को कल्प और छहों अंगों सहित पढ़कर ब्राह्मणोचित 6 कर्मों में सलंग्न रहता है, वह ‘श्रोत्रिय’ कहलाता है।
4. अनुचान : कोई भी व्यक्ति वेदों और वेदांगों का तत्वज्ञ, पापरहित, शुद्ध चित्त, श्रेष्ठ, श्रोत्रिय विद्यार्थियों को पढ़ाने वाला और विद्वान है, वह ‘अनुचान’ माना गया है।
5. भ्रूण : अनुचान के समस्त गुणों से युक्त होकर केवल यज्ञ और स्वाध्याय में ही संलग्न रहता है, ऐसे इंद्रिय संयम व्यक्ति को भ्रूण कहा गया है।
6. ऋषिकल्प : जो कोई भी व्यक्ति सभी वेदों, स्मृतियों और लौकिक विषयों का ज्ञान प्राप्त कर मन और इंद्रियों को वश में करके आश्रम में सदा ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए निवास करता है उसे ऋषिकल्प कहा जाता है।
7. ऋषि : ऐसे व्यक्ति तो सम्यक आहार, विहार आदि करते हुए ब्रह्मचारी रहकर संशय और संदेह से परे हैं और जिसके श्राप और अनुग्रह फलित होने लगे हैं उस सत्यप्रतिज्ञ और समर्थ व्यक्ति को ऋषि कहा गया है।
8. मुनि : जो व्यक्ति निवृत्ति मार्ग में स्थित, संपूर्ण तत्वों का ज्ञाता, ध्याननिष्ठ, जितेन्द्रिय तथा सिद्ध है ऐसे ब्राह्मण को ‘मुनि’ कहते हैं। लॉकडाउन को ले करके कोई भव्य कार्यक्रम नहीं कर पाए इस अवसर पर आरपी शर्मा संजय कुशवाहा धर्मवीर सिंह मनोज सिंह एके जैन एस के मिश्रा शिवकुमार शर्मा दीपक कुमार वासुदेव मौजूद थे।